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कहलाते हैं वे सेनानी ,

जो मरने से नही डरते हैं;

आजाद करने को देश हमारे,

मुसीबत में कूद परते हैं।









'अमर सेनानी' है वो नाम,

जिसे राष्ट्र आदर देता है।

बढ़कर कुर्बानी की राह पर,

देश को आजाद कर देता है॥






महारानी लक्ष्मीबाई ने किया था,

स्वतंत्रता संग्राम का बीजारोपण।

राज गुरु,सुखदेव,भगत सिंघ ने,

पहना था सहीदो का कफ़न









गांधीजी,सुभाष और आजाद ने ही ,

तोरी थी गुलामी की जंजीरे ।

अंग्रेजों को देश से खादेरते ही,

बदल गई हमारी देश की तकदीरें॥









सुन आजाद मातृभूमि की वंदना,

फूल जाता है गर्व से छाती हमारा।

स्वंत्रता सेनानी के ही कुर्बानी से,

आजाद हुआ है हमारा राष्ट्र न्यारा ॥



प्राण लेते है हम "भारतवासी",

नही सहेंगे और मनमानी;

हम से बढ़कर और न साहसी,

ये देश हमारी माता है न की दासी;

रक्षा करेंगे,स्मरण करके वे व्याक्तितिवा -


"अमर सेनानी"