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पहचान मुझे
कविता लिखने का शौक़ मुझे,जब तक कोई नाम ना सूझे।
बुझे दिए सा मान मुझे,
ऐय दुनिया पहचान मुझे!
जब कोई नाम सूझे तुझे,
एय दुनिया बता देना मुझे!
मोह विच्छेद करने को जूझे,उफनता वर्नासागर मान मुझे।
दूंगा नगमों का बहार तुझे ,
एय दुनिया पहचान मुझे!
मान दिलों का चिराग मुझे,
दुनियां बदलने कि राह जब सूझे,
दूंगा बता मै तुझे,
तब जब मेरा नाम जब सूझे,
एय दुनियां पहचान मुझे!!
रोहित मिश्रा भारद्वाज
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